7th Pay Commission – Committee on Allowances yet to submit Report on higher Allowances, next meeting on March 28

7th Pay Commission – Committee on Allowances yet to submit Report on higher Allowances, next meeting on March 28.

7th Pay CommissionThe allowance committee on 7th Pay Commission is likely to hold a meeting with employee representatives later this month, Shiv Gopal Mishra, the convenor of National Joint Council of Action (NJCA) said.

After further talks with employee representatives, the 7th Pay Commission allowance panel may submit its report to the government, he added. Minister of State for Finance Arjun Ram Meghwal had earlier clarified that the allowance committee on 7th Pay Commission has not yet submitted its report. The minister said the government will decide on the implementation after the report is submitted by the committee.

Mr Mishra also said that the employee representatives recently held a meeting with another panel that is looking into NPS or National Pension Scheme. The government had in June accepted the recommendation of Justice AK Mathur-headed Seventh Pay Commission in respect of the hike in basic pay and pension but its suggestions relating to allowances were referred to the Ashok Lavasa committee.

The 7th pay commission had examined a total of 196 existing allowances and, by way of rationalisation, recommended abolition of 51 allowances and subsuming of 37 allowances. The Union Cabinet had also constituted a separate committee for suggesting measures for streamlining the implementation of National Pension System (NPS).

As regards allowances, the unions have demanded HRA (house rent allowance) at the rate of 30 per cent, 20 per cent and 10 per cent. The Seventh Pay Commission had recommended that HRA be paid at the rate of 24 per cent, 16 per cent and 8 per cent of the new basic pay, depending on type of cities.

The 7th Pay Commission had also recommended that the rate of HRA be revised to 27 per cent, 18 per cent and 9 per cent, respectively when DA crosses 50 per cent, and further revised to 30 per cent, 20 per cent and 10 per cent when DA crosses 100 per cent.

The National Joint Council of Action or NJCA is a joint body of unions representing central government employees.

Hindi Version

7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के कई मुद्दों के लेकर उठे विवादों में कर्मचारियों ने कई अलाउंसों को समाप्त किए जाने का विरोध किया था. कई अलाउंस को वापस चालू करने की मांग कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने सरकार से की.

सातवें वेतन आयोग (seventh Pay Commission) की सिफारिशों पर केंद्रीय कर्मचारियों की आपत्तियों के निराकरण के लिए सरकार ने सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तीन समितियों को गठन किया था जिनको कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत के लिए अधिकृत किया गया था. इन  समितियों में एक समिति वित्त सचिव अशोक लवासा के नेतृत्व में बनाई गई थी. इसी समिति के पास अलाउंस का मुद्दा भी था. पहले कहा जा रहा था कि फरवरी की 22 तारीख को इस समिति की अंतिम बैठक हुई जिसमें कर्मचारियों से अंतिम बार अलाउंस के मुद्दे पर चर्चा की गई थी. अलाउंस समिति से बातचीत करने के लिए कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

सूत्रों का कहना है कि सरकार को अभी तक इस समिति की रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है. कई मीडिया में इस प्रकार की खबरें आई थी कि रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है और सरकार जल्द ही इस पर कोई फैसला ले लेगी. अब यह पता चला है कि अभी भी सरकार इस मुद्दे पर और बातचीत करना चाहती है. इस संबंध में 28 मार्च को फिर कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत होने की बात सूत्र बता रहे हैं. इससे यह साफ है कि अभी यह रिपोर्ट फाइनल नहीं हुई है.

बता दें कि संसद में भी केंद्रीय वित्तराज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने एक प्रश्न के जवाब में यह कहा था कि अभी यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी नहीं गई है. बता दें कि बातचीत पूरी होने के बाद तैयार रिपोर्ट कैबिनेट की बैठक में रखी जाएगी.

माना जा रहा है कि सरकार ने ट्रांस्पोर्ट अलाउंस (यात्रा भत्ता) को दो भागों में बांटा है. एक सीसीए और दूसरा पूर्ववत की तरह दिया जाने वाला टीए है. यह पांचवें वेतन आयोग की भांति देय होगा, ऐसा माना जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है  कि इनको डीए से अलग कर दिया जाएगा और यह फिक्स स्लैब रेट पर तय होगा.

यह भी कहा जा रहा है कि समिति ने कर्मचारियों की मांग को मानते हुए एचआरए की दर को छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से देने की बात को स्वीकार कर लिया है. दूसरा सबसे अहम सवाल अब भी बना हुआ है कि सरकार ने एचआरए को कब से देने की बात को स्वीकार किया है. यह प्रश्न अभी भी कर्मचारियों को सता रहा है. क्या यह दर 1.1.16 से लागू की गई है या फिर 1.4.17 से यह लागू होगी. जहां तक कर्मचारियों का सवाल है वह इसे पिछले साल जनवरी से लागू करवाने की मांग करते रहे हैं और सरकार की ओर से कुछ समय पहले ऐसा इशारा मिला था कि सभी विवादित अलाउंस को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया जाएगा.

इस संबंध में जीसीएम नेता शिवगोपाल मिश्र ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार से अभी बातचीत एक दौर की और संभव है. कुछ और मुद्दे हैं जैसे एनपीएस इस पर एक बार सरकार और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के बीज बैठक हो चुकी है. इस मुद्दे पर दो-तीन बैठक और हो सकती हैं.

जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारियों की मांग है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए या फिर इसकी दर बढ़ाई जाए. केंद्रीय कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में तय फॉर्मूला के हिसाब से एचआरए कर्मचारियों को पहले की तुलना में कम मिलने लगा है.

कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से बातचीत के लिए अधिकृत अधिकारी एचआरए को 1 स्तर ऊपर करने को तैयार हुए हैं अब एचआरए 30%, 20% और 10% तक हो सकता है. वहीं, विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि बड़े शहरों में इसे 30 प्रतिशत किया जा सकता है, लेकिन यह अभी तय नहीं है.

कर्मचारी संगठन का कहना रहा है कि अगर सरकार ने एचआरए बढ़ाया नहीं है तो घटा कैसे सकती हैं. अपने तर्क के समर्थन में कर्मचारियं की दलील है कि क्या शहरों में मकान का किराया कम हुआ है. क्या मकान सस्ते हो गए हैं. जब यह नहीं हुआ है तो सरकार अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय कैसे कर सकती है.

बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%, 16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%, 18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%, 20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी.

उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनजेसीए ने गठित वेतन आयोग के समक्ष अपनी मांग से संबंधित ज्ञापन में इस दर को क्रमश: 60%, 40% और 20% करने के लिए कहा था. संगठन का आरोप है कि आयोग ने कर्मचारियों की मांग को पूरी तरह से ठुकरा दिया था. उनका कहना है कि वेतन आयोग ने इस रेट को छठे वेतन आयोग से भी कम कर दिया है. इनका कहना है कि क्योंकि इसे डीए के साथ जोड़ा गया है तो यह तभी बढ़ेगा जब डीए की दर तय प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.

बता दें कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों की कई शिकायतें रही हैं और ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित मंत्रालय और वित्तमंत्रालय के अधीन समितियों का गठन किया है. ये समितियां कर्मचारी नेताओं से बात कर रही हैं और इस समितियों को अपना फैसला चार महीने में सरकार को देना था लेकिन अभी तक सात महीने से ज्यादा समय बीत चुका है और अभी तक किसी भी समिति ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है.

Source: NDTV